Handicraft Training: घर की चौखट से ही खुल रहा है रोजगार का दरवाजा, न फीस, न झंझट..बस सीखो और कमाओ

Handicraft Training: घर की चौखट से ही खुल रहा है रोजगार का दरवाजा, न फीस, न झंझट..बस सीखो और कमाओ


Last Updated:

Samastipur Handicraft Training: समस्तीपुर की मधुमाला जूट एंड क्राफ्ट संस्था महिलाओं को निशुल्क हैंडीक्राफ्ट ट्रेनिंग, कच्चा माल और तैयार उत्पाद खरीदने की सुविधा देकर आत्मनिर्भर बना रही है. इस योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि महिलाएं अपने घर के अंदर रहकर ही आत्मनिर्भर बन सकती हैं.

समस्तीपुर: समस्तीपुर की ग्रामीण और बेरोजगार महिलाओं के लिए एक सुनहरा अवसर दरवाजे पर दस्तक दे चुका है. अगर आप भी घर बैठे भविष्य की चिंता में उलझी हैं, तो अब समय है एक कदम आगे बढ़ाने का. समस्तीपुर की मधुमाला जूट एंड क्राफ्ट संस्था ने ऐसी पहल शुरू की है जो न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी, बल्कि उन्हें समाज में आत्मनिर्भर और सम्मानित स्थान भी दिलाएगी. इस योजना के तहत यदि किसी गांव की 30 महिलाएं मिलकर एक समूह बनाती हैं, तो संस्था स्वयं उस गांव में प्रशिक्षक भेजेगी. महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट जैसे जूट से बनी वस्तुएं बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी. साथ ही जरूरी कच्चा माल संस्था खुद मुहैया कराएगी. खास बात यह है कि तैयार प्रोडक्ट को संस्था खुद ही खरीद लेगी, जिससे महिलाओं को बाजार ढूंढने की चिंता नहीं होगी.

बिना शुल्क, बिना झंझट..सिर्फ सीखो, बनो और कमाओ
इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इससे जुड़ने के लिए महिलाओं को किसी प्रकार की फीस या शुल्क नहीं देना होगा. मास्टर ट्रेनर धर्मेंद्र कुमार के नेतृत्व में प्रशिक्षकों की टीम गांव-गांव जाकर महिलाओं को न केवल तकनीकी प्रशिक्षण देती है, बल्कि उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि तैयार उत्पादों को कैसे बाजार में बेचा जाए, उनकी गुणवत्ता कैसे सुधारी जाए और वे किस प्रकार अपने हुनर को व्यवसाय में बदल सकती हैं. धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि हमारा मकसद सिर्फ प्रशिक्षण देना नहीं है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है. हम कच्चा माल भी देते हैं और तैयार माल को भी खरीदते हैं. प्रशिक्षण पूरी तरह निशुल्क है, बस जरूरत है 30 महिलाओं के समूह की. उनका कार्यालय समस्तीपुर के दूधपूरा में बिरला मार्ट के बगल में स्थित है, और इच्छुक महिलाएं 8789 731538 नंबर पर संपर्क कर इस योजना का लाभ उठा सकती हैं.

घर की चौखट से ही खुल रहा है रोजगार का दरवाजा
इस योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि महिलाएं अपने घर के अंदर रहकर ही आत्मनिर्भर बन सकती हैं. उन्हें बाहर जाकर काम करने की मजबूरी नहीं होगी, जिससे पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के साथ वे सम्मानजनक आय भी अर्जित कर सकेंगी.यह पहल खासकर उन महिलाओं के लिए वरदान साबित हो सकती है जो सीमित संसाधनों, सामाजिक दबाव या शिक्षा की कमी के चलते बाहर काम करने में असमर्थ हैं.समस्तीपुर की यह कोशिश न केवल एक जिला या गांव तक सीमित है, बल्कि यह पूरे बिहार में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई रोशनी बनकर उभर सकती है. यह कहानी बताती है कि अगर इच्छाशक्ति हो और सही मार्गदर्शन मिले, तो आत्मनिर्भरता सिर्फ सपना नहीं, हकीकत बन सकती है.

authorimg

Amit ranjan

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले…और पढ़ें

मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले… और पढ़ें

homecareer

घर की चौखट से ही खुल रहा है रोजगार का दरवाजा, न फीस, न झंझट..बस सीखो और कमाओ



Source link

Loading

Enable Notifications OK No thanks
Verified by MonsterInsights