अमेरिकी सरकार ने H-1B वीजा नियमों में हाल ही में बदलाव किए हैं, जिससे कई भारतीय कर्मचारियों के भविष्य पर असर पड़ने की संभावना बढ़ गई है. आइए जानते हैं कि ये बदलाव क्या हैं और इसका भारतीय कर्मचारियों पर क्या असर हो सकता है.

अमेरिका में H-1B वीजा पर काम करने वाले भारतीयों की संख्या लाखों में है. खासकर गूगल जैसी टेक कंपनियों में भारतीयों की बड़ी संख्या है. रिपोर्ट के अनुसार गूगल में काम करने वाले कर्मचारियों में काफी प्रतिशत विदेशी हैं और उनमें से ज्यादातर भारतीय हैं. ये लोग अमेरिका की बड़ी कंपनियों के लिए सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.

हाल ही में अमेरिकी प्रशासन ने H-1B वीजा की फीस और नियमों में बदलाव किया है. अब इस वीजा के लिए आवेदन करने पर कंपनियों को पहले की तुलना में अधिक राशि चुकानी होगी. इसके अलावा H-1B वीजा को प्राप्त करने की प्रक्रिया और अधिक कड़ी और लंबी हो गई है.

अब H-1B वीजा के आवेदन की फीस पहले से कई गुना बढ़ गई है. कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने से पहले और अधिक कागजी कार्रवाई करनी होगी. वीजा की अवधि और नवीनीकरण में नई शर्तें लागू की गई हैं. इन बदलावों का असर न केवल नई हायरिंग पर पड़ेगा, बल्कि मौजूदा कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा पर भी असर डाल सकता है.

H-1B वीजा पर काम करने वाले भारतीयों के लिए यह बदलाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है. खासकर जो लोग गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनियों में हैं, उन्हें अब नौकरी मिलने और बनाए रखने में मुश्किलें आ सकती हैं. कंपनियों के लिए विदेशी कर्मचारियों को रखना महंगा और कागजी प्रक्रियाओं से भरा होगा.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 21 सितंबर से लागू हुए नए H-1B वीजा आवेदनों के लिए 100,000 डॉलर का शुल्क लागू कर दिया गया है. ये फीस सिर्फ अमेरिका के बाहर से आवेदन करने वालों पर लागू है. रिपोर्ट्स के अनुसार मौजूदा वीजा धारक और नवीनीकरण या विस्तार चाहने वाले इससे फिलहाल फ्री हैं.
Published at : 23 Sep 2025 04:58 PM (IST)