इंग्लिश असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के परिणाम से बड़ा झटका, 613 पद, पास सिर्फ 151 उम्मीदवार; जानें

इंग्लिश असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के परिणाम से बड़ा झटका, 613 पद, पास सिर्फ 151 उम्मीदवार; जानें



हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन (HPSC) की कॉलेज कैडर असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में इस बार इंग्लिश विषय का रिजल्ट चर्चा का बड़ा मुद्दा बन गया है. लगभग 2200 उम्मीदवारों में से सिर्फ 151 ही न्यूनतम 35% अंक हासिल कर सके, जबकि कुल 613 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी. इस अप्रत्याशित रूप से कम रिजल्ट ने भर्ती प्रक्रिया, परीक्षा पैटर्न और शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

कम परिणाम से बढ़ी चिंता, 75% सीटें रह गईं खाली

HPSC की ओर से इंग्लिश विषय के लिए सब्जेक्ट नॉलेज टेस्ट आयोजित किया गया था. नियमों के अनुसार उम्मीदवारों को न्यूनतम 35% अंक लाना अनिवार्य था, लेकिन लगभग 2200 में से केवल 151 अभ्यर्थी ही इस मानक तक पहुंच पाए. इसका सीधा मतलब है कि करीब 75% सीटें खाली रह गईं.

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इतनी बड़ी संख्या में सीटें खाली रह जाना न केवल चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि परीक्षा में कहीं न कहीं असंतुलन हो सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इतने बड़े पैमाने पर उम्मीदवार न्यूनतम अंक भी प्राप्त नहीं कर पा रहे, तो यह परीक्षा के कठिनाई स्तर का भी संकेत हो सकता है.

तैयारी पर उठे सवाल

इस परिणाम से उम्मीदवारों में निराशा देखी जा रही है. कई अभ्यर्थियों का कहना है कि पेपर का स्तर पीएचडी या NET की तुलना में भी अधिक कठिन था. कई सवाल अस्पष्ट थे और ऐसा लगा कि परीक्षा का उद्देश्य चयन करना नहीं, बल्कि छंटनी करना था. उम्मीदवारों का यह भी तर्क है कि इंग्लिश जैसे विषय में 35% का न्यूनतम स्कोर उचित है, लेकिन जब बड़ी मात्रा में तैयार उम्मीदवार भी इस स्तर को पार नहीं कर पा रहे, तो परीक्षा पैटर्न की समीक्षा जरूरी हो जाती है.

सुधार की जरूरत

परीक्षा के कठिनाई स्तर और सिलेबस का संतुलन जांचना चाहिए.
प्रश्नपत्र का स्टैंडर्ड ऐसा होना चाहिए जो कॉलेज स्तर की भर्ती के अनुरूप हो.
न्यूनतम अंक तय करने की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए.
मॉडरेशन या नॉर्मलाइजेशन जैसे विकल्प भी विचार में लेने चाहिए ताकि योग्य उम्मीदवारों को उचित मौका मिल सके.

आने वाली भर्तियों पर भी पढ सकता है असर

 HPSC में लंबे समय से भर्ती प्रक्रियाओं में देरी और विवाद होते रहे हैं इंग्लिश विषय का यह परिणाम आने के बाद अन्य विषयों के उम्मीदवार भी चिंतित हैं कि कहीं उनके साथ भी ऐसा न हो  छात्रों का कहना है कि यदि सीटें भर नहीं पातीं  तो कॉलेजों में शिक्षकों की कमी और बढ़ जाएगी, जिसका सीधा असर उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ेगा.

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