NASA में रिसर्च साइंटिस्ट को कितनी मिलती है सैलरी, ISRO से ज्यादा या कम?

NASA में रिसर्च साइंटिस्ट को कितनी मिलती है सैलरी, ISRO से ज्यादा या कम?


अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने का सपना देखने वाले युवाओं के मन में अक्सर एक सवाल जरूर आता है NASA में काम करने वाले रिसर्च साइंटिस्ट को कितनी सैलरी मिलती है और क्या यह ISRO से ज्यादा होती है? भारत की ISRO और अमेरिका की NASA, दोनों ही दुनिया की जानी-मानी अंतरिक्ष एजेंसियां हैं. आइए जानते हैं इनसे जुड़ी कुछ खास बातें…

NASA यानी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन, अमेरिका की सरकारी अंतरिक्ष एजेंसी है. यहां रिसर्च साइंटिस्ट, इंजीनियर, एस्ट्रोनॉट और टेक्निकल एक्सपर्ट काम करते हैं. NASA में रिसर्च साइंटिस्ट का काम नए मिशन की योजना बनाना, अंतरिक्ष से जुड़े प्रयोग करना और नई तकनीक विकसित करना होता है.

NASA में रिसर्च साइंटिस्ट की सैलरी

NASA में रिसर्च साइंटिस्ट की सैलरी अमेरिका के सरकारी वेतन ढांचे पर तय होती है. वहां सैलरी डॉलर में दी जाती है. आमतौर पर एक रिसर्च साइंटिस्ट को सालाना करीब 70,000 डॉलर से 1,50,000 डॉलर तक सैलरी मिल सकती है.

अगर इसे भारतीय रुपये में बदलें, तो यह रकम लगभग 58 लाख रुपये से 1.25 करोड़ रुपये सालाना के आसपास बैठती है. अनुभव बढ़ने और सीनियर पद पर पहुंचने के साथ सैलरी और भी ज्यादा हो सकती है. NASA में इसके अलावा कई सुविधाएं भी मिलती हैं, जैसे हेल्थ इंश्योरेंस, रिसर्च फंड, पेड लीव और रिटायरमेंट बेनिफिट्स.

ISRO में कितनी सैलरी मिलती है

अब बात करते हैं भारत की ISRO की. ISRO में नए साइंटिस्ट की भर्ती आमतौर पर Scientist/Engineer ‘SC’ पद पर होती है. इस पद पर बेसिक सैलरी करीब 56,100 रुपये प्रति माह होती है. जब इसमें महंगाई भत्ता, मकान भत्ता और अन्य सरकारी भत्ते जुड़ते हैं, तो कुल सैलरी लगभग 80,000 से 1 लाख रुपये प्रति माह तक पहुंच जाती है. यानी सालाना कमाई करीब 9 से 12 लाख रुपये के आसपास होती है. अनुभव बढ़ने के साथ ISRO में भी प्रमोशन मिलता है और सैलरी में बढ़ोतरी होती है.

NASA और ISRO की सैलरी में इतना फर्क क्यों

सबसे बड़ा कारण है देशों की आर्थिक स्थिति और करेंसी का अंतर. अमेरिका की अर्थव्यवस्था भारत से कहीं बड़ी है और वहां सैलरी का स्तर भी ज्यादा है. डॉलर की कीमत भारतीय रुपये से काफी ज्यादा होने के कारण NASA की सैलरी सुनने में बहुत बड़ी लगती है.

दूसरा कारण जीवन खर्च है. अमेरिका में घर, खाना, स्वास्थ्य और शिक्षा का खर्च बहुत ज्यादा होता है. वहीं भारत में ISRO की सैलरी भले कम हो, लेकिन यहां रहने का खर्च भी कम है.

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